कोर सेक्टर इंडस्ट्रीज | Core Sector Industries in Hindi | Core Sector Industries UPSC in Hindi
Core Sector Industries in Hindi
देश में ऐसे बहुत से उद्योग होते है, जिनके बिना देश को सुचारु रुप से चलाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन होता है।
कोयला, कच्चा तेल, उर्वरक, स्टील, रिफाइनरी उत्पाद, बिजली, सीमेंट और प्राकृतिक गैस, ये ऐसे उद्योग होते है, जिन्हें प्रमुख रुप से किसी अर्थव्यवस्था की बुनियाद माना जाता है। यही आठ क्षेत्र होते है, जो कोर सेक्टर कहे जाते हैं। इनकी विकास दर में कमी या बढ़ोतरी यह बताती है कि, किसी देश की अर्थव्यवस्था की बुनियाद के हालत कैसे है।
भारत में 8 सेक्टर्स को कोर सेक्टर माना जाता है। इस लेख में, आप भारतीय अर्थव्यवस्था के आठ प्रमुख क्षेत्रों (Core Sector Industries) के बारे में जान सकते हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था के मुख्य क्षेत्र | Core Sector in Indian Economy | Core Sector Industries in Hindi
भारतीय अर्थव्यवस्था के आठ प्रमुख कोर क्षेत्र हैं। यही आठ क्षेत्र होते है, जो कोर सेक्टर कहे जाते हैं।
- बिजली
- इस्पात
- रिफाइनरी उत्पाद
- कच्चा तेल
- कोयला
- सीमेंट
- प्राकृतिक गैस
- उर्वरक
इन उद्योगों का सामान्य आर्थिक गतिविधियों और औद्योगिक गतिविधियों पर भी बड़ा प्रभाव पड़ता है। ये सभी अन्य उद्योगों को भी महत्वपूर्ण रुप से प्रभावित करते हैं। कोर सेक्टर अर्थव्यवस्था के पूंजी आधार का प्रतिनिधित्व करता है।
Core Sector Industries in Hindi
भारतीय अर्थव्यवस्था में कोर सेक्टर का क्या मतलब है ? What is Core Sector in Indian Economy?
भारत में मुख्य रूप से 8 सेक्टर कोर है , जिनमें कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, स्टील, सीमेंट व बिजली आदि शामिल है । यह कोर सेक्टर उद्योग, औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक का 40.27% हिस्सा हैं। कोर सेक्टर वह उद्योग कहे जाते हैं, जो किसी भी अर्थव्यवस्था के मुख्य उद्योग होते हैं और अर्थव्यवस्था में उनका हिस्सा बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, जिसमें इसका भार भी शामिल होता है |
कोर सेक्टर का भार :-
- पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद : 28.04%
- विद्युत् उत्पादन : 19.85%
- स्टील उत्पादन : 17.92%
- कोयला उत्पादन : 10.33%
- कच्चा तेल उत्पादन : 8.98%
- प्राकृतिक गैस उत्पादन : 6.88%
- सीमेंट : 5.37%
- उर्वरक : 2.63%
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में इन आठ उद्योगों की संयुक्त हिस्सेदारी 40% से अधिक है। IIP एक निर्दिष्ट अवधि में अर्थव्यवस्था के विभिन्न उद्योग समूहों की विकास दर देता है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) :
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) एक समग्र संकेतक है जो एक निश्चित अवधि के दौरान एक चयनित आधार अवधि के संबंध में औद्योगिक उत्पादों के एक समुच्चय (बास्केट) के उत्पादन की मात्रा में अल्पकालिक परिवर्तनों को मापता है।
यह केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ), सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) द्वारा मासिक रुप से संदर्भ माह समाप्त होने के छह सप्ताह पश्चात प्रकाशित किया जाता है।
IIP एक निर्दिष्ट अवधि में अर्थव्यवस्था के विभिन्न उद्योग समूहों की विकास दर देता है।
2007 में आठ प्रमुख उद्योगों के सूचकांक का आधार वर्ष संशोधित कर वर्ष 2004 – 2005 से वर्ष 2011 – 2012 कर दिया गया है।
अब आधार वर्ष 2011 – 12 पर ही गणनाएँ की जाती हैं।
IIP एक संकेतक है जो एक निश्चित अवधि के दौरान औद्योगिक उत्पादों के उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन को मापता है।
यह केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा मासिक रूप से संकलित और प्रकाशित किया जाता है।
यह एक समग्र संकेतक है जो निम्न वर्गीकृत उद्योग समूहों की विकास दर को मापता है:
व्यापक क्षेत्र, अर्थात् खनन, विनिर्माण और बिजली।
उपयोग-आधारित क्षेत्र, अर्थात् मूल वस्तुएँ, पूंजीगत वस्तुएँ और मध्यवर्ती वस्तुएँ।
IIP का महत्व:
इसका उपयोग नीति-निर्माण उद्देश्यों के लिये वित्त मंत्रालय, भारतीय रिज़र्व बैंक आदि सहित सरकारी एजेंसियों द्वारा किया जाता है।
त्रैमासिक और अग्रिम सकल घरेलू उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद) अनुमानों की गणना के लिये IIP अत्यंत प्रासंगिक बना हुआ है।
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